तुम हो मेरे दर्पण मेरा ह्रदय तुम्हें ही अर्पण, तुमसे खिला घर आँगन तुमने दिया मेरे स तुम हो मेरे दर्पण मेरा ह्रदय तुम्हें ही अर्पण, तुमसे खिला घर आँगन तुमन...
ऐसा भी कभी होता है ...... घोर -घोर बवंड़र चलते , उथल मचने दुनिया में , मैं गहराई में छिप जाती हूँ ... ऐसा भी कभी होता है ...... घोर -घोर बवंड़र चलते , उथल मचने दुनिया में , मैं गहर...
है ज्ञान गंगा मधु की धारा, अश्रु से आंचल गीला है क्यों व्योम शांत और शीतल सा, धरती सा सबकुछ सहा करो है ज्ञान गंगा मधु की धारा, अश्रु से आंचल गीला है क्यों व्योम शांत और शीतल सा, ध...
यह एक बंद कली थी ओस की बूंदों में नहाई। यह एक बंद कली थी ओस की बूंदों में नहाई।
पय को देती अक्षय उड़ेल माता बन जाती धरती है । पय को देती अक्षय उड़ेल माता बन जाती धरती है ।
वही शंख और मसलती जा रही है अपनी खाली हथेलियाँ आज भी। वही शंख और मसलती जा रही है अपनी खाली हथेलियाँ आज भी।